Crude News : क्रूड ऑयल में 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट, जानिए भारत पर क्या होगा असर
शुक्रवार को क्रूड ऑयल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. ब्रेंट क्रूड की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई है. अगस्त 2022 के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आई है. ब्रेंट क्रूड की कीमत में 7 फीसदी से अधिक की गिरावट देखने को मिली है. WTI क्रूड भी 62 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है, जो 52-सप्ताह के निचले स्तर के बराबर है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए टैरिफ लगाने और ओपेक प्रोड्यूसर ग्रुप द्वारा प्रोडक्शन में बढ़ोतरी की घोषणा के कारण शुक्रवार को तेल की कीमतें 2021 में कोरोनावायरस महामारी के बाद से अपने सबसे निचले स्तर के करीब पहुंच गई है.
इससे पहले 6 अक्टूबर 2023 क्रू़ड ऑयल की कीमत में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. इस सप्ताह अब तक कीमतों में 12 फीसदी से बड़ी गिरावट देखने को मिली है.
टारगेट में भारी कटौती
गोल्डमैन सैक्स के एनालिस्ट ने ब्रेंट और WTI के लिए अपने दिसंबर 2025 के टारगेट में भारी कटौती करते हुए इसे 5 डॉलर प्रति शेयर घटाकर 66 डॉलर और 62 डॉलर कर दिया है. तेल की कीमतों पर दबाव को और बढ़ाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों ने कमोडिटी मार्केट को डरा दिया है. कई सेक्टर को टारगेट करने वाले टैरिफ ने ग्लोबल ट्रेड में संभावित मंदी की आशंकाओं को बढ़ा दिया है, जो कच्चे तेल की मांग को कम कर सकता है.
क्या पड़ा असर
रातों-रात कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद शुक्रवार, 4 अप्रैल को ऑयल इंडिया लिमिटेड और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ONGC) के शेयरों में 8 फीसदी तक की गिरावट आई. तेल की कीमतों में गिरावट ऑयल इंडिया और ओएनजीसी के लिए निगेटिव है क्योंकि इससे उनके मार्जिन पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
उनके द्वारा रिफाइंट प्रोडक्ट की कीमत में उतनी तेजी से या उस अनुपात में गिरावट नहीं आ सकती जितनी कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है और इसलिए, जिन रिफाइनरियों ने अधिक कीमतों पर खरीदी गई इन्वेंट्री को अपने पास रखा है, उन्हें इन्वेंट्री घाटे का सामना करना पड़ सकता है.
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